................भीतर से बाहर तक आकाश फैला ख़ुशबू की तितलियाँ उड़ती हैं लय टूटती है कभी-कभार पीली ख़बरों की पत्तियाँ जब झरती हैं. होने को कुछ नहीं रहा न खोने को................