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एनडीआरएफ की टीम डूब प्रभावित क्षेत्र खाली करने में जुटी

2019-08-08 212 Dailymotion

बड़वानी. राजघाट में बुधवार को नर्मदा का जलस्तर 127.400 मीटर था जो गुरुवार को बढ़कर 128 मीटर से ऊपर पहुंच गया। लगातार जलस्तर को बढ़ता देख एनडीआरएफ की टीम के साथ प्रशासन ने डूब क्षेत्र को खाली करवाना शुरू कर दिया है। सुबह से टीम धार्मिक स्थलों से सामान हटा रही है, वहीं डूब प्रभावितों को भी पुनर्वास क्षेत्र में ले जाने की कोशिश में जुटी हुई है। उधर, नर्मदा बचाओ आंदोलन के बैनर तले मेधा पाटकर के नेतृत्व में करीब 300 प्रभावितों ने सत्याग्रह आंदोलन छेड़ दिया है।





 



नर्मदा का जलस्तर 128 मीटर के ऊपर पहुंचते ही गुरुवार सुबह अपर कलेक्टर रेखा राठौड़, एसडीएम अभय सिंह, तहसीलदार राजेश पाटीदार मौके पर पहुंचे और एनडीआरएफ की टीम की मदद से धार्मिक स्थानों से सामान खाली करवाना शुरू किया। प्रशासन राजघाट के पास रहने वालों को भी यहां से हटने के लिए मनाने में जुटी है।



 



उधर, प्रभावितों का कहना है कि सरकार ने डूब प्रभावितों काे पर्याप्त मुआवजा दिया न जमीन दी। सरदार सरोवर बांध के गेट भी नहीं खोले जा रहे। इससे नर्मदा घाटी के सैकड़ों परिवारों की जिंदगी खत्म होने की कगार पर है। मप्र सरकार तत्काल गुजरात सरकार से बात करके सरदार सरोवर बांध के गेट खुलवाने की व्यवस्था करे। साथ ही मुआवजा व पुनर्वास का काम भी तेजी से पूरा किया जाए। ठीक दो साल पहले भी नर्मदा का जलस्तर बढ़ने पर मेधा पाटकर के साथ प्रभावितों ने अनशन किया था। अनशन के 12 वें दिन पाटकर को उठा लिया गया था। 17 वें दिन उन्हें अपना अनशन तोड़ना पड़ा था।



 



पाटकर ने कहा- गांवों के किनारे पानी आ गया है। यही वजह है कि राजघाट में सत्याग्रह शुरू करना पड़ा है। सरकारों ने 2013 में भी डूबाया था। उन्होंने कहा- मप्र सरकार संवाद कर रही है लेकिन हमें अपेक्षा थी कि 6 महीनों में ही हर आवेदन पर निर्णय आ जाता। गुजरात व मप्र में जो विवाद है बिजली नहीं बनने का, वह सुलझ जाता लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। 32 हजार परिवार किसान, मजदूर, केवट, मछुआरे डूब क्षेत्र में है। पुनर्वास होना बाकी है। हजारों पेड़ डूबाना क्लायमेट चेंज को और आगे बढ़ाने की बात है। उन्होंने कहा- हम चाहते है कि यहां बैठकर बात हो। हमने अभी तक 30 आवेदन दिए है। इस पर हमें नीतिगत निर्णय चाहिए, जो 30 घंटे से ज्यादा समय का नहीं है। जीने व जीविका का अधिकार बचाएंगे। पुनर्वास के बिना विस्थापन मंजूर नहीं है। 



 



बांध के कारण बारिश का पानी भी बैकवाटर में बदला 

राजघाट निवासी डूब प्रभावित नानूराम केवट व चिखल्दा निवासी भागीरथ धनगर ने बताया सरदार सरोवर बांध के कारण बारिश का पानी भी बैक वाटर में बदल गया है। उन्होंने बताया सूचना मिली है कि गुजरात व महाराष्ट्र में बारिश से गोई, डेब व अन्य नदियों का पानी नर्मदा में आ रहा है। आगे सरदार सरोवर बांध का गेट बंद होने के कारण नदी के पानी के अलावा ये बारिश का पानी भी बैक वाटर में बदल रहा है और डूब प्रभावितों गांवों की ओर आ रहा है। इंदिरा सागर व ओंकारेश्वर बांध में अभी 5 से 7 मीटर पानी कम है।