झूठ छुपाने के लिए योगी सरकार की शर्मनाक हरकत !
दफनाए गए शवों के ऊपर से उतारी पीली, लाल चादरें
शवों की पहचान न हो इसलिए हटाई गईं लकड़ियां !
अफसरों के दौरे के बाद गंगा किनारे हुए शर्मनाक कार्रवाई
रामनामी चादर हटाए जाने के बाद सरकार पर फिर उठे सवाल
आखिर क्यों खुद ही विवाद पैदा कर रही है योगी सरकार ?
सब अच्छा-अच्छा करके फिर गुड़ गोबर कर रही सरकार !
आखिर किस बात का सरकार को सता रहा है डर ?
देखिए क्या कहता है विपक्ष और आम आवाम ?
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक के बाद एक ऐसा काम कर रही है जो सरकार को विवादों से दूर होने ही नहीं देते…गंगा के किनारे दफन शवों को लेकर जबसे खबरें बननी शुरू हुई तो सरकार की हर तरफ किरकिरी होने लगी…ऐसे में अंधभक्तों ने पहले तो मामले पर विपक्ष पर निशाना साधा और काम जब बनता नहीं दिखा तो हिंदू धर्म से ही नाता तोड़ शवों को बौद्ध धर्म का बता दिया गया…लेकिन भक्तों के पापा ने अब फिर ऐसा कारनामा कर डाला कि अब भक्तों को मुंह छुपाना पड़ रहा है…और गंगा के किनारे रेत में दफनाए गए शवों का कनेक्शन अब फिर हिंदू धर्म से जुड़ना शुरू हो गया है…दरअसल प्रयागराज के फाफामऊ और फाफामऊ और श्रृंग्वेरपुर घाट पर गंगा किनारे रेत में शव दफन कर उसके ऊपर रखी गई लाल-पीली चुनरी हटवा दी गई…अफसरों की मौजदूगी में सफाईकर्मियों को तैनात कर पूरे घाट से चुनरी हटवाई गई…शव दफन करने के बाद पहचान के लिए किनारे लकड़ी गाड़ दी गई थी उसको भी हटवा दिया गया है…चर्चा है कि कैमरे से बचने के लिए रविवार की रात एक जिम्मेदार अफसर ने कुछ अफसरों के साथ फाफामऊ और श्रृंग्वेरपुर घाट का निरीक्षण किया था…अफसर ने पहले फाफामऊ पुल से घाट देखा फिर दल-बल के साथ घाट पर भी गए…कहा जा रहा है कि इसी अफसर के निर्देश पर ही सुबह फाफामऊ और श्रृंग्वेरपुर घाट की सफाई करवा कर रामनामी चुनरी हटवाई गई…ऐसा इसलिए किया गया ताकि दफन शवों की पहचान न हो सके…मामले की तस्वीरें जब अखबारों में छपी तो विपक्ष सक्रिय हो गया और सपा नेता IP सिंह ने मामले पर ट्वीट कर निशाना साधा…सपा नेता ने मामले पर ट्वीट किया और लिखा कि योगी सरकार शवों के ऊपर से लाल और भगवा कफन समूचे गंगा तट से हटवा रही है…जिससे शवों की पहचान को छिपाया जा सके, क्या समय आ गया है…सनातन धर्म संस्कृति की बात करने वाली भाजपा अब ढंग से हिन्दुओं को दाह संस्कार भी नही करने दे रही है…
दरअसल, सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में चुनरी और लकड़ी से ही इस बात की पहचान हो रही थी कि बड़ी संख्या में गंगा के किनारे शव दफन किए गए हैं…जिनकों लेकर तमाम खबरिया चैनल सरकार को कोस रहे थे…ऐसे में सरकार ने पहले तो पल्ला झाड़ा लेकिन अब जो सरकारी अधिकारियों ने कारनामा किया है उससे साफ हो गया कि सरकार जिससे बच रही थी…हकीकत में सच्चाई वही है और सरकार पर सवाल न उठे इसलिए अब रामनामी चादर को हटाया जा रहा है…अब सवाल इस बात का है कि आखिर सरकार को किस बात का डर है कि वो पहले मामले से पल्ला झाड़ती है और फिर डैमेज कंट्रोल की कोशिश में खुद के पांव पर कुल्हाड़ी दे मारती है…शवों के अंतिम संस्कार के विवाद का ये पहला मौका नहीं है…इससे पहले भी शमशान घाट के जब वीडियो वायरल हुए थे तो सरकार ने रातों रात दीवार बनवा दी थी और कई जगह पोस्टर्स से शमशान को कवर करके वीडियो और फोटो न खींचने की हिदायत दी थी…और अब एक बार फिर सरकारी अधिकारियों की करतूत ने साफ कर दिया कि दाल में काला जरूर कुछ है जिसे छुपाने की कोशिश की जा रही है…ब्यूरो रिपोर्ट