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अपने ही गांव में शरणार्थी क्यों बने सतना के लोग? किसानों से जुड़ी ग्राउंड रिपोर्ट

2024-07-24 276 Dailymotion

Satna News: मध्य प्रदेश के सतना जिले के खोहर गांव के बसीदें अपने ही गांव में शरणार्थी सा जीवन जीने को मजबूर हैं। ना तो इनके गरीबी रेखा के कार्ड बनते हैं और ना ही सरकार द्वारा चलाई जाने वाली जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ लाभ ले पाते। वन इंडिया हिंदी की टीम खोहर गांव पहुंचकर बकिया बराज के पीड़ित किसानों की समस्याएं जानने का प्रयास किया है।

दरअसल टॉस हाइड्रल परियोजना बकिया बराज के लिए वर्ष 1990- 91 में रामपुर बघेलान क्षेत्र के 44 गांव के करीब 5000 किसानो को नाम मात्र का मुआवजा देकर सोन उगलने वाली जमीन अधिग्रहण कर ली थी।


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