गुरसेवक, एक 24 वर्षीय युवा, जिसने जीवन के लिए बड़ी जंग लड़ी है। कुछ साल पहले उनकी किडनी खराब हो गई, और उनकी माँ ने अपनी किडनी दान की ताकि अपने इकलौते बेटे की जान बचा सकें।
उस समय, गुरसेवक के पिता ने अपना सब कुछ बेच दिया — घर, ज़मीन, सारी संपत्ति — सिर्फ बेटे की जिंदगी बचाने के लिए।
ट्रांसप्लांट तो सफल हुआ, लेकिन 1–2 साल बाद गुरसेवक की किडनी फिर से फेल हो गई। अब डॉक्टरों ने डायलिसिस की सलाह दी, लेकिन परिवार के पास अब कुछ भी नहीं बचा — ना ज़मीन, ना घर, ना पैसे।
एक आख़िरी उम्मीद लेकर गुरसेवक और उनका परिवार HIIMS अस्पताल पहुंचे, जहाँ उन्होंने अपनी पूरी कहानी आचार्य मनीष जी के सामने साझा की। इस दर्द भरी सच्चाई को सुनकर आचार्य मनीष जी ने तुरंत गुरसेवक का इलाज शुरू करने का निर्णय लिया — बिल्कुल मुफ्त में।
अब गुरसेवक का इलाज आयुर्वेद, प्राकृतिक चिकित्सा और समग्र चिकित्सा पद्धति से किया जाएगा। यह वीडियो एक ऐसे युवा की कहानी है जो अंधकार में था लेकिन अब उसे आशा की किरण मिली है।