चित्तूर ज़िले के पालमनेर कस्बे में रहने वाले कारीगर एल्लायप्पा ने पारंपरिक मिट्टी के बर्तनों को एक अनोखा रूप दिया है. उन्होंने ऐसा बर्तन तैयार किया है जिसमें नीचे से पानी डालने पर वह ऊपर से बाहर निकलता है, लेकिन बर्तन कहीं से रिसता नहीं. इसकी खासियत इसकी आंतरिक बनावट में है, जो पूरी तरह हस्तशिल्प से तैयार की जाती है. 2016 में इसे राज्य स्तरीय हस्तशिल्प प्रतियोगिता में पहला पुरस्कार मिला. यह बर्तन बच्चों को जादुई लगता है और कई लोग इसे शोपीस या उपयोगी वस्तु के रूप में रखते हैं. यह नवाचार भारतीय कारीगरी की पहचान बन गया है.