तेलंगाना के भद्राचलम में एकीकृत जनजातीय विकास एजेंसी यानी आईटीडीए के परिसर की आदिवासी महिलाएं पारंपरिक खेती को टिकाऊ खाद्य पद्धतियों के साथ जोड़कर आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ रही हैं. शुरुआत में सैनिटरी पैड उत्पादन इकाई के रूप में शुरू हुआ यह व्यवसाय अब बाजरा प्रसंस्करण उद्यम में बदल गया है. यहां स्थानीय रूप से उगाए गए जैविक बाजरे को मीठे स्नैक्स में बदला जा रहा है. आईटीडीए के सहयोग से, ये महिलाएं उत्पादक से व्यवसाय स्वामियों में बदल गई हैं और स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता दोनों को बढ़ावा दे रही हैं. 'भद्राद्री मिलेट मैजिक' नाम से ब्रांडेड, रागी, ज्वार, मोती बाजरा और फॉक्सटेल बाजरा से बने ये बिस्कुट और कुकीज स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं. तेलंगाना के कई शहरों में अपनी सफलता के बाद, अब इस समूह का लक्ष्य अन्य राज्यों में विस्तार करना और बिक्री बढ़ाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करना है. प्रेम और परंपरा से निर्मित ये आदिवासी महिलाओं का समूह अच्छे स्वास्थ्य और वित्तीय स्वतंत्रता की कहानी गढ़ रहा है. इससे आदिवासी समुदाय की क्षमता का प्रदर्शन भी हो रहा है.