कोलकाता के कुमारतुली क्षेत्र के कारीगर दुर्गा पूजा की तैयारियों में दिन-रात जुटे हैं. यहां की मूर्तियां न सिर्फ भारत, बल्कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और खाड़ी देशों में बसे बंगाली समुदायों तक भेजी जाती हैं. 2021 में दुर्गा पूजा को यूनेस्को द्वारा ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ का दर्जा मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय मांग में वृद्धि हुई है. मूर्ति निर्माता मिंटू पॉल के अनुसार, अमेरिका जैसे देशों से ऑर्डर पहले से अधिक मिल रहे हैं. मूर्तियां फाइबर से बनाई जा रही हैं ताकि वे टिकाऊ हों और ट्रांसपोर्ट में क्षतिग्रस्त न हों. एक मूर्ति को विदेश भेजने में करीब 4 से 5 लाख रुपये का खर्च आता है. इसके बावजूद, कारीगर इसे जारी रखे हुए हैं क्योंकि यह परंपरा प्रवासी भारतीयों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का काम करती है. दुर्गा पूजा सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहचान बनती जा रही है.