मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में लोकतक झील के बीचोंबीच एक अनोखा स्कूल है. ये है तैरता हुआ प्राथमिक विद्यालय यानी फ्लोटिंग एलिमेंटरी स्कूल. ये कोई पारंपरिक स्कूल नहीं है. छात्र यहां नाव से आते हैं और अपनी किताबों के साथ तैरते हुए प्लेटफार्म पर चटाई पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. लोकतक फ्लोटिंग एलीमेंट्री स्कूल की शुरुआत चंपू खंगपोक में की गई थी जो एक तैरता हुआ गांव है. इस गांव में रहने वाले लगभग 330 लोग अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए मुख्य तौर पर मछली पकड़ने पर निर्भर हैं. इस फ्लोटिंग स्कूल को फुमदी जलीय वनस्पति के घने तैरते हुए ढेर के ऊपर बनाया गया है. ये लोकतक झील की पहचान है और ऐसी संरचनाओं को सहारा देने के लिए बेहद मजबूत है. लोकतक फ्लोटिंग एलीमेंट्री स्कूल को शुरू हुए अभी सिर्फ नौ साल ही हुए हैं लेकिन ये अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहा है. मछुआरा समुदाय ने अब स्कूल चलाने में मदद के लिए सरकार से मदद मांगी है. ये एलिमेंटरी स्कूल एक स्थानीय गैर-सरकारी संगठन के सहयोग से शुरू किया गया था. ये उन छोटे बच्चों के लिए है जिन्हें लगातार देख-रेख की जरूरत होती है. कई बड़े बच्चों को उनके माता-पिता बोर्डिंग स्कूलों में भेज देते हैं. इस वक्त फ्लोटिंग स्कूल में 25 से भी कम छात्र नामांकित हैं. शिक्षकों और बुनियादी ढांचे की कमी की वजह से ये हफ्ते में सिर्फ दो बार ही चलता है. मछुआरा समुदाय को उम्मीद है कि इस बेहतरीन फ्लोटिंग स्कूल को जारी रखने और उसे बेहतर बनाने में सरकार दखल देगी और मदद करेगी.